मौत की दूसरी बड़ी वजह ब्रेन स्ट्रोक, रिम्स के न्यूरो सर्जन डॉ विकास कुमार दे रहे पूरी जानकारी - Dr Vikas Kumar - Neurosurgeon in Ranchi
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मौत की दूसरी बड़ी वजह ब्रेन स्ट्रोक, रिम्स के न्यूरो सर्जन डॉ विकास कुमार दे रहे पूरी जानकारी

मौत की दूसरी बड़ी वजह ब्रेन स्ट्रोक, रिम्स के न्यूरो सर्जन डॉ विकास कुमार दे रहे पूरी जानकारी

मौत की दूसरी बड़ी वजह ब्रेन स्ट्रोक, रिम्स के न्यूरो सर्जन डॉ विकास कुमार दे रहे पूरी जानकारी

आज वर्ल्ड स्ट्रोक डे है. इस वर्ष का थीम है Precioustime. यह थीम हमें यह बताती है कि अगर स्ट्रोक के लक्षणों को पहचान कर चार से छह घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचते हैं तो हम इसे बहुत हद तक रोक सकते हैं. यह ऐसी न्यूरोलॉजिकल समस्या है, जो देश में मौत की दूसरी बड़ी वजह बनती जा रही है.

World Stroke Day: आज वर्ल्ड स्ट्रोक डे है. इस वर्ष का थीम है Precioustime. यह थीम हमें यह बताती है कि अगर स्ट्रोक के लक्षणों को पहचान कर चार से छह घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचते हैं तो हम इसे बहुत हद तक रोक सकते हैं. यह ऐसी न्यूरोलॉजिकल समस्या है, जो देश में मौत की दूसरी बड़ी वजह बनती जा रही है. इसे ब्रेन अटैक के नाम से भी जाना जाता है. आज के समय में स्ट्रोक बहुत आम समस्या है. हर साल स्ट्रोक के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. रिम्स के न्यूरो सर्जन डॉ विकास कुमार से जाने स्ट्रोक के लक्षण, कारण और बचाव करने के तरीके.

क्या है ब्रेन स्ट्रोक

ब्रेन स्ट्रोक एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है. यह भारत में मौत का दूसरा बड़ा कारण है. आमतौर पर स्ट्रोक दो तरह के होते हैं. पहला ब्लड क्लॉट (इस्केमिक स्ट्रोक )और दूसरे हैमरेज. ब्लड क्लॉट में ब्रेन में क्लॉटिंग हो जाती है. वहीं दूसरे में ब्रेन में हेमरेज हो जाता है. जैसे-जैसे मरीज स्ट्रोक के लक्षणों के साथ गुजर रहा होता है, हर 1 मिनट में उसके 19 लाख न्यूरॉन्स नष्ट होते हैं. इसलिए स्ट्रोक के लक्षणों का अनुभव हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए. बहुत कम लोगों का स्ट्रोक की पूरी और सही जानकारी होती है.

‘BE FAST’ से पहचाने ​स्ट्रोक के लक्षण

रिम्स के न्यूरोसर्जन डॉ विकास कुमार बताते हैं कि अग कोई व्यक्ति ‘BE FAST’ शब्द को समझ लेता है तो इसके लक्षणों को समय रहते पहचान सकता है. लक्षणों की पहचान कर चार घंटे के अंदर अगर अस्पताल पहुंचा जाए तो बहुत हद तक इसे रोका जा सकता है.

जानिए क्या है ‘BE FAST’ के मायने

B – बैलेंस (Balance) : स्ट्रोक पीड़ित व्यक्ति अपने शरीर पर बैलेंस खो देता है. वो ना सही तरीके से बैठ पाता है और ना ही खड़ा हो पाता है.

E – आईज (Eyes) : अगर स्ट्रोक से पीड़ित व्यक्ति को एक आंख या दोनों आंखों से अचानक धुंधला दिखाई देने लगे या दिखाई ही ना दे, तो समझ लें कि ये स्थिति स्ट्रोक से जुड़ी हो सकती है.

F – फेस (Face) : स्ट्रोक में फेस यानी चेहरा एक तरफ मुड़ जाता है. इसमे व्यक्ति मुस्कुरा भी नहीं पाता है या ऐसा होता है कि फेस सीधा नहीं दिखता.

A – आर्म्स (Arms) : स्ट्रोक में बांहे यानी बाजू शिथिल यानी ढ़ीले (Loose) हो जाते हैं. उन्हें ऊपर उठाने में दिक्कत होती है. साधारण भाषा में कहें तो उनमें जान नहीं रहती है.

S – स्पीक (Speak) : स्ट्रोक में पीड़ित को बोलने में परेशानी होती है, उसकी जुबान लड़खड़ाने लगती है.

T – टाइम (Time) : स्ट्रोक में सबसे अहम है टाइम. स्ट्रोक होने पर टाइम बर्बाद ना करते हुए मरीज को तुरंत ही अस्पताल पहुंचाएं. जहां तक हो सके अच्छी सुविधाओं वाले अस्पताल में ही ले जाएं. जहां एमआरआई, सीटी स्कैन और बेहतर आईसीयू की सुविधा हो.

स्ट्रोक के प्रकार

इस्केमिक स्ट्रोक (Ischemic stroke) : यह स्ट्रोक का सबसे आम प्रकार है. यह तब होता है जब मास्तिष्क की ब्लड वेसेल्स के संकुचित हो जाने से ब्लड फ्लो गंभीर रूप से कम हो जाता है. कुछ शुरुआती शोधों से पता चला है कि कोविड-19 संक्रमण इस्केमिक स्ट्रोक का संभावित कारण हो सकता है.

हेमोररहगीक स्ट्रोक (Hemorrhagic stroke) : यह स्ट्रोक तब होता है जब आपके मास्तिष्क में ब्ल वेसल्स फट जाती हैं. ब्रेन हैमरेज आपकी ब्लड वेसेल्स को प्रभावित करने वाली कई स्थितियों के कारण हो सकता है. अनियंत्रित ब्लड प्रेशर, ब्लड वेसेल की दीवारों में प्रोटीन का जमा हो जाना हैमोरेगिक स्ट्रोक से संबंधित कारकों में शामिल है.

ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (Transient ischemic attack) : इसे कभी-कभी मिनी स्ट्रोक के रूप में जाना जाता है. टीआईए तब होता है जब एक क्लॉट आपके तंत्रिका तंत्र के हिस्से में रक्त के प्रवाह को ब्लॉक कर देता है. बता दें कि टीआईए होने से बाद में विकसित स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.

स्ट्रोक की वजह

  • आज के दौर में तनाव स्ट्रोक का बड़ा रिस्क फैक्टर है
  • सर्दियों के मौसम में स्ट्रोक का खतरा 14-15 प्रतिशत तक बढ़ जाता है
  • स्मोकिंग, अल्कोहल का सेवन कम कर दें. इससे भी स्ट्रोक होने की संभावना बढ़ जाती है
  • डायबिटीज, हाइपरटेंशन को नियंत्रित रखने के लिए लगातार जांच कराते रहें

स्ट्रोक को कैसे रोकें

  • धूम्रपान छोड़ें. यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे छोड़ने से स्ट्रोक का खतरा बेहद कम हो जाएगा.
  • शराब का सेवन सीमित करें. ज्यादा शराब का सेवन आपके ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है.
  • वजन मेंटेन रखें. अधिक वजन और मोटापे से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. अपने वजन को प्रबंधित करने के लिए संतुलित आहार लें और शारीरिक रूप से सक्रिय रहें.
  • नियमित जांच कराएं. डॉक्टर्स ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल की जांच नियमित रूप से कराने की सलाह देते हैं. इन सभी उपायों को करने से आपको स्ट्रोक से बचाव के लिए बेहतर स्थिति में लाने में मदद मिलेगी.
  • स्ट्रोक से निपटने के दौरान ज्यादा सर्तक रहना बेहतर है. यदि आपको लगता है कि आप स्ट्रोक के लक्षण महसूस कर रहे हैं, तो इमरजेंसी हेल्प लेने से न डरें. हालांकि, स्ट्रोक को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव आपके जोखिम को बहुम कम कर सकते है.

News Source : Prabhat Khabar

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